March 05, 2008

सॉफ्टवेयर महोदय, यह भी भविष्यवाणी करते जाओ

नैराश्य के माहौल में इस खबर में सारी समस्याओं का हल ढूंढा जा सकता है। खबर यह है कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर बन गया है, जो आतंकी घटनाओं की भविष्यवाणी करेगा। अहा, क्या सीन होने वाला है? इधर गोपनीय स्थल पर गुफ्तगू के बाद कमाण्डर का निर्देश ले आतंकी बदन पर विस्फोटक बांध निकलेंगे, उधर सॉफ्टवेयर घोषणा कर देगा कि अलां-फलां स्थान पर आतंकी वारदात होगी। आतंकियों को ऐसा दबोचा जाएगा कि उनको बटन दबाने का मौका ही न मिले। वैसे हमारे पास खुफिया तंत्र नामक सॉफ्टवेयर पहले से मौजूद है, जो अधिकांश वारदातों के बाद चेताने का काम करता आया है। हर वारदात के बाद एक बयान यह आता है कि खुफिया तंत्र ने पहले ही चेता दिया था। इसको यहीं छोड़ें। नई उम्मीदों के बारे में सोचें। हमारे यहां कुछ धांसू-फांसू सॉफ्टवेयरों की जरूरत है। जिनके बनने से हमारे सिस्टम की नब्ज पकड़ सके। खासकर पॉलिटिक्स में कुछ राहत सी मिल जाए। एक सॉफ्टवेयर ऐसा बन जाए, जो नेताओं पर केन्द्रित हो। नेताओं के मूड को पकड़े। उनके मिजाज को भांप भविष्यवाणी करे कि अब फलां नेता क्या बयान देने वाला है और उनमें कितनी सचाई होगी, कितना झूठ होगा? कौन नेता कल पार्टी में बगावत कर विरोधियों से हाथ मिला लेगा? कौनसी पार्टी समर्थन वापस ले सरकार गिराने के मंसूबे पाल रही है? यह भी पता चले कि आज विपक्ष सदन में किन मुद्दों पर वॉकआउट करेगा? यदि ऐसा हो जाए, तो सदनों में संभावित जूतमपैजार-माइकपैजार, कुर्सीपैजार, धक्क-मुक्कमपैजार आदि से बचा जा सकता है। ऐसे सॉफ्टवेयर बहुत सी समस्याएं हल करने में देश की मदद कर सकते हैं। कल्पना कीजिए, आसन्न सारी समस्याओं की घोषणा होने लग जाए, तो कैसा रहे? सॉफ्टवेयर बता सकता है कि अगले कुछ घंटे महिलओं पर कितने भारी गुजरने वाले हैं? कितने बलात्कार होने वाले हैं? कितनी हत्याएं होंगी? सड़क दुर्घटनाओं में कितने लोग मारे जाएंगे? नेताओं द्वारा कितने और किस पैमाने पर झूठ बोले जाएंगे? भ्रष्टाचार का सेंसेक्स कितना चढ़ेगा। कुल कितना धन भ्रष्टाचार के पेटे जाएगा? कौन कितना कमीशन खाएगा? बाबू आज फिर दफ्तर में नहीं बैठेगा? छह महीने से अटकी फाइल अगले छह महीने चलने की उम्मीद नहीं। फिर आदमी क्यों दफ्तर के चक्कर लगाए? दो पड़ोसी आज किस बात पर लड़ बैठेंगे? इससे उनको खासी तैयारी का वक्त मिल जाएगा। सेंसेक्स कितना गोता खाने के मूड में है, ताकि उसे वक्त से पहले ही थामा जा सके। क्लास में आज फिर लेक्चरर दर्शन नहीं देंगे। क्लास खाली जाएगी, यह पता चले तो स्टूडेंट्स क्लास में क्या लेने जाएं? सच, ऐसे सॉफ्टवेयर तो बहुत काम के साबित हो सकते हैं। छोटे-छोटे संकटों से लेकर बीस सूत्री, पंचवर्षीय समस्याओं तक का खाका पल में सामने आ जाएगा। यह भी पता लगे कि वारदात होगी और पुलिस आदतानुसार कितनी लेट पहुंचेगी या हो सकता है धौंस में आ जाए तो नहीं भी पहुंचे? कितने फरियादियों को थानों से बिना रपट के टरका दिया जाएगा? किन-किन पर बेवजह पुलिस के डंडे-फंडे, धोल-धप्पे पड़ने वाले हैं? ऐसा होने लगे, तो अपराधियों की भी खैर नहीं। वे प्लानिंग करें और इधर सॉफ्टवेयर महोदय सारा कच्चा-चिट्ठा खोल दें? यहां, अपराधी होशियार निकले तो, वे बीच में ही प्लानिंग चेंज कर सकते हैं। जैसे किसी का अपहरण करने जाएं और अपहरण छोड़ किसी को टपका आएं। सब कुछ संभव है। फिर तो सॉफ्टवेयर बहुद्देश्यीय साबित हो सकता है। सरकारें भी सारी समस्याओं का हल सॉफ्टवेयर में खोज सकती हैं। वे यह बहाना कर ज्यादा निकम्मी भी हो सकती हैं कि फलां खतरे के बारे में सॉफ्टवेयर ने बताया ही नहीं था। या केन्द्र राज्य को धमका कर कहे कि वारदात से पहले सॉफ्टवेयर ने राज्य को चेता दिया था।

1 comment:

Udan Tashtari said...

सही विश्लेषण किया है, अच्छा लगा.