April 03, 2008

गायब होने का उम्दा भारतीय कौशल

लो, जी आदमी गायब हो सकेगा। साइंस ने ऐसी तरकीब खोज कर ली है। अमरीका आदि देशों ने यह खोज की है। वैसे इसमें नई खोज क्या हुई। इंडिया में यह तरकीब बहुत पहले से चालू है। साइंस की मदद से गायब आदमी कुछ देर बाद तो दिखाई दे जाएगा। यहां आजादी के तत्काल बाद गायब हुए लोग आज तक नहीं मिल रहे। आओ चलें, हम सब उन्हें ढूंढें।
नेताजी को गायब होने की विधा विरासत में मिली। बाप ने बेटे को संभलाई। बेटे ने बेटे को या चाचा, भतीजा, भाई वगैरह जितने भी खूनी रिश्ते हैं, उन्होंने सबने गायब होने की कला सीख ली। और सब आज तक पूरी कुशलता और धूर्तता से गायब हैं। सांसद-विधायक चुनाव जीते और पूरे पांच साल के लिए गायब। चुनाव की आहट हुई। तब इनका बयान आया। तिथि घोषित हुई। तो रोनी-धोनी सूरत लेकर लाव-लश्कर के साथ खुद प्रकटे। चुनाव का कुंभ सम्पन्न। जीते तो गायब। हारे तो भी गायब। गायब हर हाल में होना है। सदन में पहुंचे, तो वहां दर्शन नहीं। दर्शन तो, प्रर्दशन नहीं। क्षेत्र की समस्याएं उठाने का वक्त आया, तो गायब मिले। मुद्दे उठने के इंतजार में दम तोड़ बैठे। ये उठकर गए, तो लौटे नहीं।
गायब और भी बहुत से हैं। साठ वर्षों से उन्हें लोग खोज ही रहे हैं। चप्पलें घिसी जा रही हैं। जूते इसलिए चमकाए जा रहे हैं, ताकि चमक उतारी जा सके है। लोगों के लिए सड़कों की चलने से ज्यादा इस काम में अधिक उपयोगिता है। सड़कों पर बिछी डामर जनता के जूते-चप्पलों की चमक फीकी करने के बखूबी काम आ रही है। जिसे ढूंढने का उपक्रम करो, वही गायब। सरकारी दफ्तर जाओ तो बाबू गायब। एक नहीं, कई-कई दिन गायब। गायब होने का उम्दा प्रर्दशन। जादुई प्रर्दशन। जनता हैरान, परेशान, चमत्कृत। सिर धुनती हुई, खुजाती हुई। कुर्सी को कोसती हुई। अफसर से शिकायत करने पहुंचो तो वो खुद गायब। सिर्फ कुर्सी मौजूद है। उससे ऊपर जाओ तो वो भी गायब। हर ऊपर वाला गायब। अब करो शिकायत।
गायब होने की लम्बी फेहरिश्त। सब कुछ होकर भी गायब है। नल है, पानी गायब। बिजली के तार हैं। बिजली की बातें है। बिजली उत्पादन के चर्चे हैं। पर बिजली गायब। गांवों में बच्चे पढ़ने बैठते हैं, बिजली गायब। सदन है, संसद है, नेता गायब। नेता हाजिर, तो मुद्दे गायब। मुद्दे भी हों, नेता भी हों, तो बहिस्कार कर तुरंत गायब। अजीब मर्ज है। हैं भी, नहीं भी। यानी होकर भी नहीं हैं। सच क्या है, झूठ क्या है? समझ से परे है।
यह नदारद होने का इंडियन कौशल है। अब अमरीका की साइंस खोज क्या कर लेगी। हमारी गायब कला से क्या मुकाबला।

1 comment:

bhuvnesh sharma said...

बहुत सही लिखा है...इंडिया का साइंस बहुत आगे है.