लोकसभा में महंगाई पर बयानबाजी जारी है। बयान ही बयान। कुछ धांसू। कुछ फांसू। कुछ इमोशंस से भरे फिल्मी डायलॉगनुमा। सुनकर आंखों में आ जाएं आंसू। तो कुछ शर्मसार कर देने वाले भी। लेकिन नेता सुबह से गला फाड़ रहे हैं। सरकार न शर्मसार हो रही, न इमोशनल होने का उसका कोई मूड है। न टस, न मस। सरकार की ढीठता देख शायद महंगाई खुद ही इमोशनल हो ले, या शर्मसार हो ले। इत्ती शर्मसार हो जाए कि स्वयं ही गिर जाए। क्योंकि कुछ भी हो, महंगाई नेताओं से ज्यादा ढीठ नहीं हो सकती।
महंगाई पर सारी बकवासबाजी के बाद देश के कृषि मंत्री कम क्रिकेट मंत्री भी बयानों की श्रृंखला में अपना योगदान देंगे। यह योगदान अहम होगा, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था, महंगाई और भविष्य की कुछ तस्वीर होगी। उनके बयान की कुछ भनक लगी है, जिसका लब्बोलुआब यह है-
...तो साथियो, आप सभी जानते हैं कि महंगाई के बाउंसर लगातार जारी हैं। आज सुबह से आप-हम भी खूब झिक-झिक कर चुके हैं। यह सच है कि महंगाई की इस विकट क्रिकेटबाजी से आम आदमी इत्ती बार बोल्ड हो चुका है कि अब क्रीज तक जाने की उसकी हिम्मत नहीं बची। वह झोलेनुमा बैट उठा बाजार रूपी क्रिकेट के मैदान की ओर जाने से डरता है, क्योंकि उसे वहां से फिर बोल्ड होकर लौटना है। वह हमेशा गिरे हुए विकेट की तरह रहता है। लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है। हार-जीत लगी ही रहती है। आज हारे, कल जीते। यूं भी महंगाई आजकल ऑस्टरेलिया सी टीम हो गई है। चाहे जब पीट देती है। चाहे जिसको पीट देती है। लेकिन ध्यान रखें, उसे हमने हराया है, इसे भी पछाड़ देंगे।
जल्द ही आईपीएल शुरू कर रहे हैं। देश की क्रिकेट अर्थव्यवस्था में यह मील का पत्थर साबित होगी। हमने दाल से भी सस्ते टिकट रखे हैं। इसलिए, बाजार जाने की बजाय आदमी, क्रिकेट मैदान का रुख करे तो उसे ज्यादा सुकून मिलेगा। मजदूरी से लौटकर आदमी शाम के भोजन की चिन्ता न करे। सीधा स्टेडियम पहुंच जाए। इस तमाशे का आधी रात तक आनन्द उठाए। भूख की क्या चिन्ता। उपवास प्रिय देश है हमारा।
...तो महंगाई का कुछ यूं भी मुकाबला किया जा सकता है।
1 comment:
चलिए, आप कहते हैं तो यह भी सही..रखते हैं उपवास.
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