April 19, 2008

क्रिकेट में ड्रामा, ड्रामे की क्रिकेट

इसमें एक्शन है। ड्रामा है। सितारे हैं। राजनीति है। बिल्लो रानी का डांस है।...और क्रिकेट भी है। आईपीएल का तमाशा है ही ऐसा। आदमी क्रिकेट से बोर नहीं हो सकता। बोर होगा, तो बिल्लो रानी को देखने लगेगा। बिल्लो रानी ढंग से नहीं ठुमकी तो वीवीआईपी दीर्घा की ओर गर्दन उचकाकर सितारों को देख लेगा। देशी में दम ना हो तो फॉरेर्नर चीयर गर्ल भी तो हैं। डांस समझ में नहीं आए तो चिकनी टांगे ही काफी हैं मन लगाने को। यहां सब कुछ देखने की चीज है। और तबीयत से देखा जा सकता है। फुल्ली एंटरटेन है।
आईपीएल नाम का यह तमाशा कई प्रकार के मसालों से बनी खिचड़ी है। नूडल्स है। पित्जा है। बर्गर है। सब कुछ है। कुल मिलाकर सुस्वादु सा मामला बन गया है। यह बड़ी बात है कि आज सब कुछ महंगे के बावजूद सुस्वादु चीज भी परोसी जा रही है। कम से कम ४४ दिन तक दिल लगी का सा खेल चलता रहेगा। देश को, देश के कृषि मंत्री के प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने मंत्री पद की जिम्मेदारी के बीच, प्रधानमंत्री बनने के ख्वाबों के बगीचे में दिन-रात टहलते हुए, किसानों की कर्जा माफी का यश लूटने के पुरजोर प्रयासों और सोनिया प्रधानमंत्री पद से दूर रहें इस किस्म की राजनीति के बीच भी क्रिकेट के लिए इत्ता कुछ कर डाला। और करते रहेंगे।
यहां कुछ बुनियादी सवाल खड़े हो गए हैं। यह क्रिकेट है या तीन घंटे की बॉलीवुड फिल्म है। वैसे यह समझने में माथापच्ची करने की कोई जरूरत नहीं। जिनको क्रिकेट समझ में नहीं आती, वे फिल्म के तौर पर देख सकते हैं। और जिनको फिल्म से परहेज है, वे क्रिकेट समझ तीन घंटे मजे से बिता सकते हैं। जिनको दोनों से एलर्जी हो, वे अक्सर कला प्रेमी लोग होते हैं। उनके लिए मजा यह है कि वे चियर गर्ल के डांस में कला के तत्व खोजने की मशक्कत कर सकते हैं। ...और जो तीनों तरफ से रूखे से आदमी हैं, वे तीन घंटे भीड़ का हिस्सा बन इस जिग्यासा में गुजार सकते हैं कि आखिर यहां हो क्या रहा है? हर बंदे के लिए मामला काफी रोचक है। पता भी नहीं लगे और सब कुछ पता भी लग जाए।
दूसरा कठिन सवाल यह उभर रहा है कि जिसका उत्तर खोजा जाना जरूरी है। शाहरुख, प्रीति जिंटा वगैरह भविष्य में भी टिकट बेचते रहेंगे या एक्टिंग वगैरह में भी लौटेंगे। और मान लीजिए टिकट ही बेचते रहे, सारे मैचों में मौजूद रहे तो फिर फिल्मों क्या होगा। यदि क्रिकेट में मन रम गया तो, शाहरुख कोलकाता से ओपनिंग कर सकते हैं। शाहरुख ओपनिंग में उतरे और मोहाली से मैच हुआ तो प्रीति जिंटा गेंदबाजी में हाथ जरूर आजमाएंगी। फिर तो प्रीति गेंद फेंकेंगी और शाहरुख दिल की तरह गेंद को उछाल कैच आउट हो सकते हैं। मामला तब और भी पेचीदा हो सकता है, जब अभिनेता और अभिनेत्री इतनी बार आमने-सामने हुए कि दोनों प्रतिस्पर्धा भूल दिल लगा बैठें और पिच पर ही एक-दूसरे की बाहों में समा जाएं। कुछ भी संभव है।
यदि सितारों ने क्रिकेट सीखा, तो युवराज, धोनी, गांगुली वगैरह इनके संग रह-रह एक्टिंग जरूर सीख जाएंगे। (वैसे अब भी क्रिकटे से ज्यादा एड वगैरह में एक्टिंग करते हैं)। इस तरह इस क्रिकेट में कई खतरे हैं, तो मजे भी हैं। हो सकता है पंवार साब आगे चल प्रधानमंत्री बन जाएं, तो क्रिकेट के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। क्रिकेट सीखने पर सब्सिडी दे सकते हैं। जिन देशों की यात्रा निकलेंगे, वहां क्रिकेटर्स को भी साथ ले जाएंगे। मैचों के जरिए मैत्री को प्रगाढ़ करेंगे। मुशरर्फ को क्रिकेट के मैदान में चुनौती दे सकते हैं। आने वाले कुछ दिनों तक देश वासियों को ऐसे-वैसे ही खयाल आते रहेंगे। लगेगा, यह देश पंवार साब और उनका बोर्ड ही चला रहा है।

2 comments:

Manas Path said...

सोच में ही गडबडी है.

राजीव जैन said...

बधाई हो भाई, अच्छा लिखते हो