February 01, 2008

मुझे काट लिया ब्लॉग के कीड़े ने

ब्लॉगिंग करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। दो महीने तक माथापच्ची करने के बाद यह मुझे अच्छी तरह समझ में आ गया है। मैं एसे दोराहे पर खड़ा हूं, जहां से या वापस लौट आऊं या फिर घुस जाऊं। और जितना घुसने की कोशिश कर रहा हूं, उतना ही धंसता जा रहा हूं। तीन दिन पहले मित्र अभिषेक की मदद से ब्लॉग बनाया और उसमें भी तकनीकी लोचा आ गया। वह एग्रीगेटर पर दिखाई ही नहीं दे रहा। इन तीन दिनों में मेरी मनःस्थिति का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। दो रातों से भरपूस सो नहीं पाया। आंख बंद करता हूं तो आंखों में ब्लॉग तैरने लगता है। आखिर कब दिखाई देगा मेरा ब्लॉग? कब दिल की बात आप साथियों तक पहुंचा पाऊंगा। ढंग से सो नहीं पाने की वजह से आंखें भी सूज गईं। मेरी सुबह दोपहर को हुई। पत्नी बार-बार पूछ रही हैं कि यह किस चिन्ता में खोए हुए हो? आपका चैन कहां चला गया है। मैं उन्हें क्या बताता कि आजकल मुझे ब्लॉगिंग के तकनीकी कीड़े ने काट लिया है। खैर, किसी तरह सीधी-सादी भाषा में समझाया कि मैं इन्टरनेट पर कुछ लिखने वाला हूं। फिर उसे सब पढ़ेंगे। यह सुनकर बेचारी खुश हो गई। आज फोन कर के पूछा कि आपका वो बन गया क्या जो आप बनाने वाले थे। मैंने उन्हें कहा कि प्रयास जारी हैं, इंजीनियर अभिषेक ठोक-पीट रहे हैं। आज उम्मीद है, शायद शुरू हो जाएगा। मैं इस उम्मीद में यह लिख रहा हूं कि आज संभवतः मेरी मनःस्थिति को आप से शेयर कर सकूंगा।

3 comments:

abhishek said...

are bhai jaldi aap bhi sab ke beech honge ..............

नीलिमा सुखीजा अरोड़ा said...

बधाई आप भी ब्लागिंग के क्षेत्र में आ ही गए। आप जैसे पढ़ने लिखने वाले लोग ब्लाग लिखेंगे तो ये ब्लागिंग के लिए भी ्चछा है।

सागर नाहर said...

हा हा हा.. यानि ब्लॉगिंग के पहले चरण में आप पहुंच ही गये। पहले चरण में हरेक ब्लॉगर के साथ होता है, पोस्ट प्रकाशित होते है एग्रीग्रेटर को चैक करता है कि पोस्ट आई कि नहीं? अगर आ गई तो बार बार पोस्ट को चैक करेगा कि कोई टिप्प्णी मिली कि नहिं, अगर टिप्पणी मिल गई तो मन ही मन खुश हो कर कुप्पा हो जायेंगे।
अगली सुबह कम्प्यूटर ओन करते ही सबसे पहले ब्लॉग देखेंगे कि कोई और टिप्पणी आई कि नहीं? कितने हिट हुए आदि आदि..
खैर.. आपको इस कीड़े के काटने की हार्दिक बधाई..