February 07, 2008

मुझे यकीं नहीं अभी तक

ब्लॉग को लेकर कई दिनों से मेरी माथापच्ची जारी है। तकनीकी नासमझी की वजह से अभी तक ब्लॉग गाड़ी पटरी पर नहीं आ पाई है। कभी टेम्पलेट में गड़बड़ तो कभी ढंग से पोस्ट नहीं हो पा रही। एक दिन मित्र अभिषेक ने टेसि्टंग के लिए साभार जताते हुए अरविन्द भाई की गजल चिपकाई। लेकिन साभार किसका, अरविन्द भाई का नाम लिखना तो भूल ही गए। मेरे ब्लॉग में अरविन्द भाई का कमेंट आया तब पता चला कि भूल हुई। भूल के साथ मुझे थोड़ा सुखद आश्चयॆ हुआ कि अरविन्दजी ने ब्लॉग कहां देख लिया, जबकि वह तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा। फिर आज कुवैत में जीतूजी से ऑनलाइन बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि नारद और चिट्ठा पर आपका ब्लॉग दिखाई दे रहा है। तब जाकर आस बंधी है कि अब शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा। आखिर इन्तजार के भी तो कोई मायने हैं।

2 comments:

Tarun said...

Surjeet, swagat hai is keere ne aapko bhi kaat khaya.....

sandeep dahiya said...

sahi bat hai janab, INTZAR KE OR BHI MAYNE HAI...