February 10, 2008
बाबा आमटे कोई अमिताभ बच्चन है क्या?
बाबा आमटे कोई अमिताभ बच्चन है क्या? आमटे कौन है? कोई अमिताभ बच्चन है क्या? जो कभी उद्योगपतियों से दोस्ती को लेकर, कभी सबसे ज्यादा जुमॆ वाले प्रदेश में जुमॆ सबसे कम कह कर समाजवादी दल की पैरवी को लेकर तो कभी तथाकथित किसान होने को लेकर चैनल्स और अखबारों की सुखिॆयों में रहने का सुख भोगता है? कभी जेल के अन्दर, कभी बाहर होता संजय दत्त, सलमान खान हैं क्या? एक बीबी को छोड़, विदेशी से इश्क फरमा, और अब तीसरी अदाकारा के संग इश्कियाता सैफ अली खान है क्या? नशीली सामग्री के साथ पकड़ा गया सितारा भी नहीं है। किसी सेलिब्रिटी का प्रेम किस्सा भी तो नहीं है। और न ही किसी हस्ती का विवाह प्रकरण? किसी राजनेता का बिगड़ैल शहजादा भी नहीं है। उद्योगपति का अन्धा पुत्र भी नहीं है, जो फुटपाथ पर सोये गरीब-गुरबा लोगों पर गाड़ी चढ़ा दे। बदला लेने को आतुर नागिन की प्रेम कथा भी नहीं है। हद से हद यह कि कोई साधुनुमा इन्सान ही तो था, तन पर साधारण कपड़े पहनता था। आश्रम में रहता था और दीन-दुखियों की सेवा में लगा हुआ था। जिन कुष्ट रोगियों से घृणा का फैशन हमें अव्वल वगॆ में शुमार कर देता है, वह उन्हीं भूले-बिसराये, सड़े-गले लोगों को गले से लगाए सेवा-सुश्रूषा में लगा हुआ था। और ज्यादा से ज्यादा यह कह सकते हैं कि आखिरी गांधीवादी था। फिर क्योंकर नेशनल न्यूज बनता भाई। उसको विस्तार देने से किस चैनल की टीआरपी बढ़ने वाली थी। किसके एड्स में इजाफा होने वाला था? कैसा आदमी था, न अखबारों को पसंद, न चैनों को। भारत रत्न के काबिल भी नहीं था। वरना कभी का दे दिया गया होता? उसके पीछे किसका वोट बैंक था, जिसको भारत रत्न देने से दलों के वोट बैंक में इजाफा होता। यह सब नहीं था, फिर हम अखबारों के पहले पन्ने पर क्योंकर उसे चार कॉलम छापते। सिंगल कॉलम भी अहसान की गरज से छाप दिया।खामख्वाह यह आदमी इत्ते साल दुबलाता रहा सेवा में। इससे अच्छी तो धोनी की जुल्फें ही हैं, जिनके मुशरॆफ तक मुरीद हैं। आईपीएल ज्यादा बड़ी है कहीं। खबरों के पैमाने के अनुसार। विराटता में भले ही पंगू ही हो। विराटता किसने देखी है। विराटता ही होती तो नाग-नागिन की प्रेम कथा में कहां की विराटता है?मुझे अफसोस है बाबा आमटे तू अमिताभ क्यों नहीं था?