February 14, 2008

आपके लिखने से क्या हो जाएगा?

अजब समस्या है। शायद आपकी भी होगी। हर लिखने वाले की होगी। क्या लिखा जाए? उससे बड़ा सवाल यह कि क्यों लिखा जाए? आपके लिखने से क्या हो जाएगा? कौनसी परिवतॆन की लहर चल निकलेगी? लिखने से अधिक इस पर सोचना पड़ता है कि किस-किस पर लिखा जाए। किस पर न लिखा जाए। वैसे लिखने के लिए विषय भी कम नहीं। खबरों के समन्दर में रोज उगते हैं। रोज दफन होते हैं। लीजिए-महाराष्ट् में गुण्डा राज अभी तक कायम है। राज की गिरफ्तारी की रस्म अदायगी भले हो गई। लेकिन हिंसा पर कोई असर नहीं। बदस्तूर जारी है। इससे परे हटकर देखें तो सांसद पप्पू यादव को सजा हो गई। उस पर भड़ास निकाली जा सकती है। आज वैलेन्टाइन डे है और तथाकथित संस्कृति के पहरेदारों के डण्डे भी निरदोष प्रेमियों पर चल रहे होंगे। इस पर लिखा जा सकता है। लिखने के लिए इससे अच्छा विषय क्या हो सकता है। कई बार लठ और कलम चलाने वालों की मजबूरी कमोबेश एक जैसी होती है। उसी बाध्यता के चलते लिखा जा सकता है। और नजर फैलाइए। हर घटना आपको लिखने के लिए आमन्त्रण दे रही है। स्वीकार कीजिए। लेकिन लिखने के लिए जरूरी है एक अदद भले से मूड का। अब मूड बनना कोई आसान काम तो है नहीं। क्या पता कब उखड़ जाए? किस बात पर उखड़ जाए? क्यों उखड़ जाए? कुछ कहा नहीं जा सकता। जैसे आज मेरा उखड़ा हुआ है। बिलकुल मूड नहीं है लिखने का। इसलिए नहीं लिखूंगा। माफ करना।

5 comments:

Anita kumar said...

लिखते भी हैं और कहते है नहीं लिखुंगा भई वाह

हरिमोहन सिंह said...

क्‍या आप दुनिया बदलने के लिये लिख रहे हो

abhishek said...

भाई वाह, सही है कि लिखने के लिए मूड चाहिए। मुद्दों का तो कोई अकाल नहीं है आप चाहें जितने मिल सकते हैं, पह हां जो लिखा जाए उसकी सार्थकता पर जरूर सवाल उठ सकते है, इसलिए उनका समीचीन होना जरूरी है.... बहरहाल पोस्टिंग की गति अच्छी है जिसे बनाए रखें।

सुनीता शानू said...

सही बात है लिखने के लिये मूड चाहिये...जैसे की आज मैने सभी की पोस्ट पढ़ने और टिप्पणी देने की ठानी हुई है...:)

Udan Tashtari said...

चलो, कल लिख लेना..फिर आ जायेंगे..दिल न छोटा करो, मित्र. :)