February 08, 2008

नपुंसक इरादों की शिकार एक बेबस लड़की

रात को देर तक उधेड़बुन चलती रही। मन में खराशें उग आईं। दरअसल वह एक किस्सा था, जो पत्नी ने सुनाया था। सुनकर लगा, एक औरत की बेबसी की शायद इससे ज्यादा पराकाष्ठा क्या होगी? पत्नी के ऑफिस में उनकी एक सहयोगी आज बता रहीं थीं कि उनके मामाजी अपनी लड़की की शादी में कैसे लुटे-पिटे-ठगे गए। उन्होंने अपनी लड़की की शादी एक कथित इंस्पेक्टर से की। धूमधाम से लड़की को विदा किया। हैसियत से ज्यादा खचॆ भी। शादी के तीन माह तक ससुराल वालों ने लड़की को पीहर नहीं भेजा। पीहर वालों के बार-बार कहने के बावजूद किसी तरह टालते रहे। पीहर वालों को खटका हुआ। वे जस-तस दो दिन के लिए लड़की को पीहर ले आए। वे यह देखकर दंग रह गए कि तीन माह में अच्छी-भली हष्ट-पुष्ट लड़की कैसे दुबली हो गई। चेहरे की सारी लालिमा जाती रही। आंखें धंसने लगीं। पूछने पर मौन साध लिया। काफी कुरेदने पर लड़की फट पड़ी। रुलाई न रुकी। आंसुओं में गुबार बह निकला। उसने जो बताया, उससे मां के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि क्या छल इस रूप में भी हो सकता है? लड़की ने जो हकीकत बताई, उसे सुनकर मां के कानों में जैसे पिघला शीशा उंडेल दिया। शादी के बाद पहली ही रात को जिस सुहाग सेज पर वह सिमटी-सिकुड़ी-लजाई सी पति आगमन के इन्तजार के साथ भविष्य के सुखद सपने बुन रही थी, उसे नहीं पता था कि ये सपने तार-तार होने वाले हैं। आहट सुनकर वह चौंकी, लेकिन पति को न पाकर उसे थोड़ा आश्चयॆ हुआ। वहां उसकी ननद थी। उसे तब और भी धक्का सा लगा, जब ननद ही उसके पास सो गई। सोचा, शायद एसा ही रिवाज होगा। लेकिन यह क्या? दूसरे दिन भी एसा ही हुआ। फिर तो तीसरे, चौथे, पांचवें दिन...अन्तहीन सिलसिला। वह रात कभी नहीं आई। इस बीच वह जितना सोचती, उतने ही प्रश्न खड़े हो जाते। वह पति के जितना पास जाने की कोशिश करती, वह उतना ही दूर होने का यत्न करता। वह कुछ कुंठित सा हो चला। और इस कुंठा में उसने बिना वजह ही उस पर हाथ उठा दिया। एक बार हाथ उठाया, तो उठता ही चला गया। और एक रूटीन में बदल गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब हो क्या रहा है? इस बीच यह भी पता लग गया कि उसका पति इन्स्पेक्ट नहीं है। उसने पूछा तो बदले में मिली मार, इन शब्दों के साथ कि मैं तो मेरे मन का इन्स्पेक्टर हूं। बोलो, क्या कर लोगी? अनिश्चय में घिरी लड़की अपने पीहर वालों से भी कुछ नहीं कह पाई। कभी-कभी उसका ससुर बड़ी बेहयाई से उसके नजदीक आने की कोशिश करता। खींसे निपोर कर कहता, कोई कमी तो नहीं? कुछ चाहिए तो बोलो? (यहां उसने कुछ एसी पेशकश भी की, जिसको मैं यहां लिखना ठीक नहीं मानता।)...और एक दिन वह मनहूस रात...। उसकी ननद अचानक उठकर कमरे से बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद बाहर कुछ आहट हुई। उसने उठकर देखा, बाहर उसका ससुर खड़ा था। स्याह रात में उसके चेहरे पर डरावनी हंसी तैर रही थी और उसके चमकते दांत रात को और भयानक बना रहे थे। उसे समझते देर नहीं लगी, उसने फटाक कमरा बंद कर लिया। उसके दो दिन बाद ही उसे किसी तरह पीहर वाले लिवा लाए।सच बहुत डरावना था। वह लड़का नपुंसक था और उसकी एक शादी पहले भी हो चुकी थी। वह लड़की भी अपने भाग्य को कोसती, रोती छोड़कर चली गई थी। दुबारा शादी करने का मकसद यह था कि किसी तरह ससुर पति का स्थान हथिया लेगा और लड़की अपनी इज्जत की खातिर सब-कुछ सहती रहेगी। ...और उन्हें खान-दान का वारिश मिल जाएगा।इस देश, समाज में बहुत सी लड़कियां इस अभागी लड़कियों की तरह ठगी-छली जाती हैं। कुछ चुपचाप जिन्दगी भर सह लेती हैं, कुछ हिम्मत कर कह देती हैं।

7 comments:

target said...

वाकई रोंगटे खड़े हो गये पढ़कर।

दिनेशराय द्विवेदी said...

मैं ने इस से भी अधिक रोंगटे खड़े करने वाले किस्से सुने हैं। पर यह भी अनोखा है। वास्तव में जब तक लड़कियों को समाज में सम्पत्ति के दर्जे से मुक्ति नहीं मिलेगी तब तक ऐसे किस्से सुनने को मिलते रहेंगे। माँ-बाप ने भी पुत्री को सम्पत्ति ही समझा बल्कि दूसरे की अमानत। नहीं तो पहले ही यह गंभीरता के साथ यह अन्वेषण करना था कि आखिर पहली शादी टूटने का कारण क्या था? इस के अभाव में अपनी बेटी को नर्क की आग में झोंक दिया। वास्तव में समाज को बड़े सामाजिक आन्दोलन की आवश्यकता है।
और भाई साहब यह वर्ड वेरीफिकेशन क्या है? आप के हिन्दी चिट्ठे पर कोई मशीन टिप्पणी करने के लिए नहीं आएगी। इंन्सान ही कर दें तो बहुत है। और मशीन भी कर रही हो तो आप को क्या इस से तो आप के चिट्ठे की रेटिंग ही बढ़ेगी। इसे हटाऐं।

avinash said...

यह घटना बड़ी ही मार्मिक लगी इस तरह की घटना आज भी हो रही है वंश की खातिर लोग कैसे हेवान हो जाते है ये पता नही था इस घटना को पढ़कर सोचने पर विवश हो गया...इस तरह के लोगो को क्या सज़ा मिलने चाहिए.....कुछ गलती मैं लड़की वालो की भी मानता हूँ ...उन्हें भी पुरी तरह सोच समझकर रिश्ता करना चाहिए....इस युग मैं ये होना शर्मनाक है .. .

yogi said...

aise admi ko gardan tak jameen me gaad kar kutton se su-su karvana chahiye.

Unknown said...

aise admi ki gand me gadhe ka lund de ker pure bazar me gumana chahiye

Jitendra said...

I can't believe ki is duniya me eise bhi log hai or aisa krte hai

Anonymous said...

mai raj mere shadi ho chuki hai nahi to may iss ladki se shadi kar leta aur saari jindgi khush rakta jaise ab mera pariwar hai