February 20, 2008
आज बेटियों के ब्लॉग की चर्चा राजस्थान पत्रिका में
यह अच्छी और सुखद खबर है कि अब ब्लॉग्स की चर्चा मीडिया में भी हो रही है। हालिया दिनों में लगभग सभी अखबारों में इस पर कई दफा चर्चा हुई है और होनी भी चाहिए, क्योंकि ब्लॉग मीडिया के समानान्तर एक नई क्रान्ति सदृश नजर आ रहा है। आगे चलकर यह विधा सशक्त रूप अख्तियार करेगी, इसमें कोई संशय नहीं। इसी कड़ी में आज राजस्थान पत्रिका के परिवार सप्लीमेंट में बेटियों के ब्लॉग पर आर्टिकल छपा है। इससे पूर्व एक अखबार में ब्लॉग पर कॉलम शुरू हुआ है। इसका तात्पर्य यह कि मीडिया ने इस विधा को इसके जन्म के भोर में ही स्वीकार कर लिया है, यह और भी अच्छी बात है। आज राजस्थान पत्रिका में छपे आर्टिकल में बेटियों के ब्लॉग की चर्चा के साथ बताया गया है कि अभी इसके ग्यारह मेम्बर हैं और कहा गया है कि कोई भी इसमें लिख सकता है। वाकई, बेटियां होती ही हैं घर की क्यारी में खिले फूलों की तरह। बेटियां खुशबू हैं, जिनसे घर-आंगन महकता है। बेटियां अन्तर्मन में उल्लास की सृजना करती हैं। इसे हम पहचान रहे हैं। ब्लॉग के जरिए उन्हीं भावों को व्यक्त कर रहे हैं, जो हम महसूस तो करते हैं, लेकिन किसी से शेयर नहीं कर पाते। अब शेयर भी कर रहे हैं। एक-दूजे से खुशियां बांट रहे हैं। तमाम आपाधापी, चिन्ताएं, सृजनाओं की कशमकश के बीच कितना अच्छा लगता है कि जब नन्हीं कोंपलों के निर्दोष करतबों को बयां करते हैं। यह एक मंच है, साझा मंच। जहां कुछ भी तेरा-मेरा नहीं है। हैं तो सिर्फ अन्नत संभावनाओं से भरपूर बेटियां ही बेटियां। साधुवाद।
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1 comment:
मेहनत रंग ला रही है
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