February 11, 2008

बाबा आम्टे को भारत रत्न क्यों दिया जाए?

भारत रत्न डिमांड की मार्केटिंग काफी हो चुकी। अगले पचास-साठ साल तक के दावेदार सामने आ चुके हैं। चलो, ढेर सारी समस्याओं वाले देश में एक टेंशन तो खत्म हुई। अब बाकी फील्ड में निस्संकोच काम किया जा सकता है। इस बीच सवाल यह नहीं उठना चाहिए कि बाबा आम्टे को भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया? बेशमॆ सवाल यह होना चाहिए कि बाबा को भारत रत्न क्यों दिया जाए? उनसे एसा हुआ क्या है कि एक भारत रत्न खराब किया जाए। आप खुद तुलना कीजिए, कुछ कद्दावरों से, बाबा इस सूची में कहीं नहीं ठहरेंगे। एक लंगोटी वाला आखिर ठहर भी कैसे सकता है?भारत रत्न तो सचिन तेंदुलकर को मिलना चाहिए। जिन्होंने अनाज के भूखे देश की खाली झोली हजारों रनों से भर दी। क्रिकेट के बलबूते चार सौ करोड़ की सम्पत्ति बनाई है। देश की अथॆव्यवस्था में यह योगदान कम नहीं है। गली-गली तक क्रिकेट क्रांति इनसे ही हुई है और आज हर मां-बाप का बच्चा सचिन बनना चाहता है। इनको न मिले तो भारत रत्न रतन टाटा को मिलना चाहिए। जिनकी बदौलत निम्न वगॆ का कार का सपना पूरा होगा। देश में भले ही ढंग से सड़कें न बन पाई हों, लेकिन हर घर में कार तो आ ही जाएगी। अमिताभ बच्चन को लगातार खबरों में बने रहने के लिए दिया जा सकता है। एसी खबरों से देश का ध्यान दूसरी समस्याओं से हटता है। यूं तो शरद पंवार किससे कम हैं। राजनेता होकर क्रिकेट में उनका अनुपम योगदान भुलाया नहीं जा सकता। देश कृषि के मामले में निरन्तर प्रगति करे या नहीं क्रिकेट में तो कर ही रहा है। टीम जीत भी रही है। इसलिए पंवार साहब का दावा तो बनता है और मजबूती से बनता है। यही क्या कम है?भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह को क्यों नहीं मिलना चाहिए, जिन्होंने देश को दल-बदल की परम्परा दी। यदि यह परम्परा नहीं होती, तो आज की सरकारें कैसे चल रही होती। जगजीवनराम को उनके प्रधानमंत्री बनने के गम्भीर प्रयासों के लिए दिया जा सकता है। मुलायम सिंह भी बाबा आम्टे से कहीं प्रबल दावेदार हैं, जो आज निराले किस्म का समाजवाद(धनवाद) देश में खिलाने के प्रयत्नों में जुटे हैं। कॉमरेड ज्योति बसु भी सॉलिड उम्मीदवार हो सकते हैं। वैसे हर कॉमरेड नेता को इसलिए ही दिया जा सकता है कि उन्होंने पानी में रहकर मगर से बैर करने की परिभाषा गढ़ी है। यानी समथॆन दे भी दिया और नहीं भी दिया। देखा, कैसा जादुई समथॆन है और जादू से बनी सरकार है। फिर क्यों न एक भारत रत्न हो जाए इस बात पर।बाला साहब ठाकरे को देश भक्त होने के नाते दिया जा सकता है। वैसे एश्वयाॆ को देश में ब्यूटी पौधा खिलाने के लिए क्यों न दिया जाए। आज अधिकांश तरुणियों ब्यूटी मंच पर भारत का नाम रोशन करने के लिए घोर तैयारियों में जुटी हैं। लिस्ट काफी लम्बी हो रही है। कुछ आप भी तो सोचें?...आखिरी सवाल?बात फिर बाबा आम्टे पर पहुंच गई। उनका देश में योगदान कितना है। महाराष्ट के एक कोने में खोल लिया आश्रम, ठूंस लिए कुष्ठ रोगी। बताइए यह भी कोई देश के लिए योगदान हुआ? फिर क्यों सचिन, अमिताभों, मुलायमों, मायावतियों, टाटाओं, बिड़लाओं, अम्बानियों की सूची में आम्टे का नाम शामिल किया जा सकता है।

1 comment:

सागर नाहर said...

बिल्कुल...बाबा आम्टे को क्यों दिया जाये? कुष्ठ रोगियों की सेवा करने से देश का क्या भला हुआ? सच्चे देशभक्त्त तो मुलायम, लालू, मायावती, सचिन, अमिताभ आदि हैं।
क्यों दिया जाये अन्ना हजारे को भी उन्होने क्या किया है?