February 13, 2008

...तो फिर यह मुम्बई आपको ही मुबारक?

गांधीगिरी के देश में ठाकरेगिरी का जिन्न फिर जाग गया है। चालीस साल पहले दफन यह भूत राजनीतिक महत्वाकांक्शाओं की कोख से एक बार फिर जबरन निकाला गया है। फिर खासकर गैर महाराष्टि्यन लोग निशाने पर हैं। लेकिन ठहरिए, इन पर बेरहमी से लठ चलाने से पहले तनिक सोचिए। अपना आत्मा को झकझोरिए। यदि ये लोग वाकई इतने अवांछित हैं, तो पहले बिड़लाओं को भी निकालिए। अम्बानियों को भी निकालिए। पीरामलों को भी निकालिए। सिंहानियों को भी निकालिए। उद्योगपतियों से लेकर हर एरे-गैरे को निकालिए, जो वोट के आपके सांचे में फिट नहीं बैठ रहे हैं। आपकी मुम्बई को सुन्दर बनाने में गैर मराराष्टि्यन लोगों का योगदान क्या बिलकुल नहीं है? आपकी मुम्बई को, राज की मुम्बई को, ठाकरे की मुम्बई को, पंवार की मुम्बई को सुन्दर बनाने में आपसे कहीं अधिक योगदान इन गैर करार दिए गए लोगों का है। बॉलीवुड को निकाल दीजिए मुम्बई से, फिर देखिए आपकी क्या पहचान है? बिना बॉलीवुड की मुम्बई की कल्पना भयावह स्वपन की तरह है, जो आपभी कतई नहीं देखना चाहेंगे। आज जितने ही सितारे हैं, फिल्म मेकर हैं, वे कहां से आए हैं? गिनती कीजिए- देश के कोने-कोने से चलकर पहुंचे इन लोगों ने महाराष्ट् को सही मायनों में महा राष्ट् बनाया है। आप इनके योगदान के बलबूते देश में सिर गवॆ से उठा कर दुनिया में थूक सकते हैं। पर इन लोगों पर मत थूकिए।देश के हर कोने से पहुंचा व्यकि्त जब सफल होकर अपने घर-गांव-कस्बे-शहर लौटता है तो उससे आपकी मुम्बई की भी शान बढ़ती है। लौटकर वह फिर मुम्बई-महाराष्ट् की तरक्की में योगदान देने लगता है। उसकी पीढ़ियां अपनी जड़ों को भूल जाएंगी, लेकिन वे महाराष्ट् को हमेशा सींचेंगे-संवारेंगे। लेकिन यदि वह जरा सा अपनी मातृ भूमि का ऋण चुकाना चाहता है तो इससे आपको कहां दिक्कत होनी चाहिए। उनसे आप भी मांगिए। हक से लीजिए। फिर वह कभी मना नहीं करेगा। बेशक आपको ये लोग नहीं चाहिए, लेकिन आपको चुनाव में चन्दा कौन देता है। क्या बाहर से आए ये उद्योगपति आपके चुनाव संचालन में मददगार नहीं बनते। एक अरब से अधिक की आबादी वाली मुम्बई का जन भार कौन ढोता है, यही बाहर से आए मेहनतकश लोग। आपके यहां जो भव्य अट्टालिकाएं खड़ी शोभा बन रही हैं, उन्होंने किसके पसीने ऊंचाइयां चढ़ी है, इन्हीं लोगों से न।माना आपको कुरसी चाहिए। आपकी मजबूरी है, लेकिन एसी भी क्या मजबूरी जो राष्ट् और संविधान की अखण्डता को ही तार-तार कर दे। आपका विकास का नारा बुलन्द कीजिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने लठ चलाइए। मुम्बई को अण्डरवल्डॆ से मुकि्त के लिए अभियान चलाइए। उसमें आपकी भी असल शोभा है। फिर भी आप इसी एजेण्डे के सहारे सत्ता सुख भोगना चाहते हैं, तो फिर एसी मुम्बई आपको ही मुबारक।

1 comment:

सागर नाहर said...

बिल्कुल सही कहा आपने..