जब अन्तर्मन में संवेदनाओं का आधिक्य होता है, तब आदमी का मिजाज काव्यमयी हो जाता है। मैं जब संवेदनाओं में डूबा तो कविता लिखने की ओर प्रवृत्त हुआ। ग्यारहवीं कक्षा से मन के भाव कविता के जरिए अभिव्यक्त करने लगा। प्रस्तुत कविता बी।ए. प्रथम वर्ष के दौरान लिखी थी। कैसी है, इस निर्णय का सर्वाधिकार आपके पास सुरक्षित है?
एक और चीरहरण...
चौराहे पर
कांप रही अबला
है तैयारी
एक और चीरहरण की।
खौल रहा
किसका खून
चुप हैं पांडव
आस नहीं
कृष्ण शरण की।
अबूझ पहेली सी
विषण्न मन
विस्फारित आंखें
कैसे उड़े
उन्मुक्त गगन
कतर दी पांखें
मौन सिला सी
प्रतीक्षारत्
ईश चरण की।
कोमलांगी
नर की
अतृप्त इच्छाओं का
मोल पाश्विक वृत्त
से बुभूक्षित आंखों में
रूप राशि
रहा वह तौल
बस, अभ्यस्त हाथों ने
निभा दी रस्म
.....अनावरण की।
1 comment:
आप बहुत कम उम्र से स्वेदनशील लेखन कर रहे हैं । अच्छा लिखा है ।
घुघूती बासूती
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